भारत के लिये, जो बाइडेन के अमेरिकी राष्ट्रपति निर्वाचित होने के मायने।

तमाम आशंकाओं के बीच बुधवार को अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सत्ता संभाल ली। अभूतपूर्व सुरक्षा और सादगी के बीच 46 वें अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर उन्होंने शपथ लिया। इस समारोह में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, बिल क्लिंटन व जॉर्ज बुश समेत कई दिग्गज नेता मौजूद रहे। सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए, डोनाल्ड ट्रंप समारोह में शामिल नहीं हुए। उनकी जगह माइक पेंस कार्यक्रम में शामिल थे। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जान राबट्स ने सबसे कम उम्र के सीनेटर से ले कर सबसे उम्रदराज़ अमेरिकी राष्ट्रपति के सफर को तय करने वाले, डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन को देश के 46 में राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण के लिये बाइडेन ने उस ऐतिहासिक बाइबिल का इस्तेमाल किया जो उनके परिवार के पास साल 1893 से है। भारतीयों के लिये गर्व और हर्ष की बात ये है कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने कैबिनेट में 20 भारतीय मूल के अमेरिकियों को जगह दी है। जिनमें से 13 महिलायें हैं। टॉप पोजिशन की बात करें तो कमला हैरिस को वाइस प्रेसिडेंट के लिये चुना गया है । 56 वर्षीय कमल की मां श्यामला गोपाल तमिलनाडु के थुलेसंद्रपुरम से हैं और उनके पिता जमैका मूल के हैं। कमला की मां बर्कले यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लीये गई थी। आज कमला हैरिस अमेरिका के दूसरे सबसे महत्वपूर्ण पद पर आसीन हैं।


कमला के अलावा जिन भारतीय-अमेरिकियों को बाइडेन कैबिनेट में  जगह मिली है वो हैं – 


विवेक मूर्ती- डॉ मूर्ती को यू.एस सर्जन जनरल के लिये नामित किया गया है। ओबामा के राष्ट्रपति काल में भी वे इस पद पर कार्यरत थे। बाइडेन की कोविड-19 एडवायजरी बोर्ड में मूर्ती उपप्रमुख होंगे।

नीरा टंडन- नीरा टंडन डेमोक्रेट झुकाव वाले थिंकटैंक “सेंटर फॉर अमेरिकन कांग्रेस” की प्रमुख हैं। उन्हें व्हाइट हाउस में ऑफिस ऑफ मैनेजमेंट एंड बजट (ओएमबी) के डायरेक्टर के लिये नामित किया गया है। 

आयशा शाह- अमेरिकी कैबिनेट में जगह बनाने वाले भारत के कश्मीर से दो लोगों में से एक आयशा शाह को व्हाइट हाउस ऑफिस ऑफ डिजिटल स्ट्रेटजी में पार्टनरशिप मैनेजर का पदभार सौंपा गया है।

समीरा फजीली- आयशा शाह के अलावा दूसरी भारतीय कश्मीर मूल की महिला, कम्यूनिटी और डेवलपमेंट एक्सपर्ट  समीर फजीली को अमेरिकी कैबिनेट में यू.एस नेशनल इकोनॉमिक काउंसिल (एन.ई.सी) में डिप्टी डायरेक्टर पद के लिये नामित किया गया है। फजीली ने इससे पहले अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट में वरिष्ठ सलाहकार और व्हाइट हाउस के एन.ई.सी में वरिष्ठ नीति सलाहकार के तौर पर काम कर चुकी है।

भारत रामामूर्ति- 2020 राष्ट्रपति चुनाव कैंपेन के दौरान एलिजाबेथ वारेन के इकोनॉमिक एडवाइजर के तौर पर काम कर चुके रामामूर्ति को एन.ई.सी फॉर फाइनेंसियल रिफॉर्म एंड कंज्यूमर प्रोटेक्शन के डिप्टी डायरेक्टर का कार्यभार दिया गया है।

उज्रा जेया- ट्रंप की नीतियों के खिलाफ 2018 में फॉरेन सर्विस से इस्तीफा देने वाली इंडियन-अमेरिकन डिप्लोमेट उज्रा जेया, बाइडेन कैबिनेट में डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट के सिविलयन सिक्योरिटी, डेमोक्रेसी एंड ह्यूमन राइट्स के लिये अंडर सेक्रेटरी के तौर पर कार्यरत होंगे।

वनीता गुप्ता- अमेरिका के एसोसिएट अटॉर्नी जनरल के लिये वनीता गुप्ता को नामित किया गया है। सीनेट से मंजूरी मिलने के बाद वह इस पद को संभालने वाली पहली अश्वेत महिला होंगी। बाइडेन ने उनके नाम की घोषणा करते हुए कहा था कि वनीता गुप्ता अमेरिका की सबसे सम्माननीय सिविल राइट्स लायर्स में एक हैं।इससे पहले ओबामा के राष्ट्रपति काल में वह सिविल राइट्स डिवीजन की प्रमुख रहीं हैं।

सुमोना गुहा- नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के दक्षिण एशियाई सीनियर डायरेक्टर पद सुमोना गुहा को दिया गया है। गुहा यू.एस इंडिया बिजनस काउंसिल में काम कर चुकी हैं और उसके पहले दक्षिण एशिया के लिये स्टेट्स पॉलिसी प्लानिंग स्टॉफ के सेक्रेटरी का पद भी संभाल चुकी है।

शांति कलाथिल- नेशनल इंडोमेंट फॉर डेमोक्रेसी के इंटरनेशनल फोरम फॉर डेमोक्रेटिक स्टडीज में सीनियर डायरेक्टर शांति कलाथिल को नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल में डेमोक्रेसी एंड ह्यूमन राइट्स के को-ऑर्डिनेटर के तौर पर नॉमिनेट किया गया है.

गौतम राघवन- अमेरिकी जन प्रतिनिधि प्रमीला जयपाल के चीफ ऑफ स्टॉफ के तौर पर काम कर चुके राघवन को ऑफिस ऑफ प्रेसिडेंट पर्सनल में डिप्टी डायरेक्टर के तौर पर नॉमिनेट किया गया है. वह बिडेन फाउंडेशन के सलाहकार के तौर पर काम कर चुके हैं और एल.जी.बी.टी.क्यू इक्वलिटी के ल्ए सबसे पुराने व सबसे बड़े निजी फाउंडेशन में शुमार गिल फाउंडेशन के पॉलिसी वाइस प्रेसिडेंट रह चुके हैं।

तरुन छाबड़ा- नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल में टेक्नोलॉजी एंड नेशनल सिक्योरिटी के सीनियर डायरेक्टर पद पर काम करेंगे। फिलहाल वो जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर सिक्योरिटी एंड इंमर्जिंग टेक्नोलॉजी में सीनियर फेलो हैं।ओबामा के राष्ट्रपति काल में छाबड़ा नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल में स्ट्रेटजिक प्लानिंग के डायरेक्टर के तौर पर काम कर चुके हैं। 

माला अडिगा- फर्स्ट लेडी डॉ जिल बाइडेन की नीति निदेशक के तौर पर माला अडिगा को नियुक्त किया गया है। वह 2008 में मैन बुकर पुरस्कार जीतने वाले अरविंद अडिगा के परिवार से संबंधित हैं।

विनय रेड्डी- व्हाइट हाउस में स्पीचराइटिंग के डायरेक्टर के तौर पर विनय रेड्डी की नियुक्ति हुई है। रेड्डी बाइडेन-हैरिस चुनाव प्रचार के वरिष्ठ सलाहकार और भाषण लेखक के तौर पर जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। रेड्डी लंबे समय से बाइडेन के सहयोगी रह चुके हैं।

वेदांत पटेल- व्हाइट हाउस कम्यूनिकेशंस एंड प्रेस ऑफिस के एसिस्टेंट प्रेस सेक्रेटरी के तौर पर वेदांत पटेल को चुना गया है। अभी वह बाइडेन के इनऑगरल कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता हैं। पटेल इंडियन-अमेरिकन कांग्रेसवूमन प्रमीला जयपाल के लिये कम्यूनिकेशंस डायरेक्टर के तौर पर काम कर चुके हैं।

सबरीना सिंह- वाइस प्रेसिडेंट ऑफिस के प्रेस सेक्रेटरी के तौर पर सबरीना सिंह को नियुक्त किया गया है। इस पद पर पहुंचने वाली वह भारतीय मूल की पहली शख्सियत हैं। 32 वर्षीय सबरीना 2016 में हिलेरी क्लिंटन के प्रेसिडेंशियल कैंपेन की रीजनल कम्युनिकेशंस डायरेक्टर के तौर पर काम कर चुकी हैं। इसके अलावा वह डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी की प्रवक्ता भी रह चुकी हैं। 

गरिमा वर्मा-  छोटे कारोबारियों और एन.जी.ओ के लिये मार्केटिंग, डिजाइन व डिजिटल में फ्रीलांसर के तौर पर काम कर चुकी गरिमा वर्मा को फर्स्ट लेडी के कार्यालय में डिजिटल निदेशक के तौर पर नामित किया गया है। वह पैरामाउंट पिक्चर्स में मार्केटिंग फिल्म्स और वाल्ट डिज्नी कंपनी के एबीसी नेटवर्क में टीवी कार्यक्रमों के लिये काम कर चुकी हैं। 

सोनिया अग्रवाल- ऊर्जा और जलवायु विशेषज्ञ सोनिया अग्रवाल को ऑफिस ऑफ डोमेस्टिक क्लाइमेट पॉलिसी में क्लाइमेंट पॉलिसी और इनोवेशन के लिये सीनियर एडवाइजर के तौर पर नियुक्त किया गया है। ओबामा प्रशासन में सोनिया अग्रवाल ने एनर्जी इनोवेशन के लिये 200 बिजली नीति विशेषज्ञों को एकजुट किया था और अमेरिका की बिजली योजना का नेतृत्व किया था।

रीमा शाह- व्हाइट हाउस काउंसिल के ऑफिस में डिप्टी एसोसिएट काउंसिल के तौर पर रीमा शाह को नियुक्त किया गया है। वह चुनाव प्रचार के दौरान बिडेन के लिये डिबेट की तैयारी करने वाली टीम में शामिल रह चुकी हैं। शाह लाथम एंड वाटकिंस में एसोसिएट रह चुकी हैं और डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के सॉलिसिटर जनरल के ऑफिस में ब्रिस्टो फेलो के तौर पर काम कर चुकी हैं।

नेहा गुप्ता- सैन फ्रांसिस्को के सिटी अटार्नी ऑफिस में डिप्टी सिटी अटार्नी के तौर पर काम कर चुकी नेहा गुप्ता को व्हाइट हाउस काउंसिल के ऑफिस में एसोसिएट काउंसिल के तौर पर नियुक्त किया गया है। नेहा गुप्ता हार्वर्ड कॉलेज और स्टैनफोर्ड लॉ स्कूल से पढ़ी हैं।


46 में राष्ट्रपति के तौर पर अमेरिका की बागडोर संभालने के बाद बाईडेन ने अपने पहले भाषण में कहा कि वह सिर्फ अपने समर्थकों के मुखिया के रूप में नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र के राष्ट्रपति के रूप में काम करेंगे। ये मुझे भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का नारा “सबका साथ, सबका विकास” की याद दिलाता है। जो बाइडेन के शब्द यह भी थे कि वह समाज में बढ़ती अलगाववाद की भावना को कम करने का प्रयास करेंगे।


उपरोक्त से इतर भी, जो बाइडेन अपने लंबे राजनीतिक जीवन के दौरान कई बार भारत के पक्ष में रहे हैं। हालिया चुनाव के दौरान भी भारतीय अमेरिकी समुदाय के लिये अपनी टिप्पणी में उन्होंने कहा था कि “मैं हमेशा भारत के साथ खड़ा रहूंगा और भारत के अपनी सीमाओं पर सामना कर रहे ख़तरों में भारत का साथ दूंगा।” 2000 के दशक में शक्तिशाली सीनेट की विदेश संबंध समिति (एस.एफ.आर.सी) के चेयरमैन के तौर पर उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश को एक पत्र लिख कर पोखरन परीक्षण को लेकर भारत पर लगाई पाबंदियों को हटाने के लिये आग्रह किया था। एक विपक्षी नेता के रूप में वह अनिवार्य रूप से भारत के प्रति अमेरिका के रुख में एक बड़े  बदलाव के लिये प्रशासन के निर्णय के प्रति अपना समर्थन जताते रहे थे। उनके कथन में “भारत एक महान राष्ट्र है।” बाइडेन ने 2006 में एक भारतीय अमेरिकी साप्ताहिक पत्रिका के साक्षात्कार में कहा था की “मेरा सपना है कि 2020 में दुनिया के दो सबसे क़रीबी देश भारत और अमेरिका हों। अगर ऐसा होता है, तो दुनिया सुरक्षित हो जायेगी।”

कमला हैरिस द्वारा जे.जे सिंह की पौत्री सबरीना सिंह को अपनी प्रेस सचिव नियुक्त करना भी अहम संदेश देता है। जे. जे. सिंह ने इंडिया लीग फॉर अमेरिका (आई.एल.ए) का नेतृत्व किया था, जो 1940 के दशक में अमेरिका में भारतीयों के प्रतिनिधि संगठन के रूप में उभरा था। आई.एल.ए ने न सिर्फ़ अमेरिका में भारतीयों के अधिकारों के लिये लड़ाई लड़ी, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम का सबसे महत्वपूर्ण पैरोकार भी बना।


भारत के लिये इसके क्या मायने हैं? 


अगर हम पहले मोदी-ट्रम्प की दोस्ती का सूक्ष्म अवलोकन करें तो हमें दिखता है कि मोदी-ट्रम्प दोस्ती की ख़ासियत सनक भरे उतार-चढ़ाव के थे। बहुत सारी सकारात्मक बातें भी हुईं। एक दौर में मोदी ने ट्रम्प और अन्य लोगों से सतर्कता भरी दूरी रखी, लेकिन दोनों एक-दूसरे से गले भी मिले। व्यापार के मोर्चे पर भारत पर बहुत दबाव रहा और ट्रम्प प्रशासन का आतंकवाद को लेकर रुख पूरी तरह भारत के पसंद का भी नहीं था। पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कड़ा रुख अपनाने के बाद, ट्रम्प कश्मीर विवाद में मध्यस्थता का प्रस्ताव देने लगे। ईरान के साथ व्यापार पर तथा रूस से एस-400 आयात करने के मुद्दे पर भी भारत को ट्रम्प के विरोध का सामना करना पड़ा।


इसके इतर, बिडेन और हैरिस के धौंस भरे उदारवाद के प्रति झुकाव से, हम चीन पर मानवाधिकारों के मुद्दे पर और साथ ही दक्षिण चीन सागर में उसकी गतिविधियों पर निरंतर दबाव बढ़ाने की आशा कर सकते हैं। दक्षिण चीन सागर या बौद्धिक संपदा चोरी के मुद्दे पर चीन के ख़िलाफ़ कड़ा रुख़ नहीं अपनाने की ओबामा प्रशासन की ग़लती को बिडेन दुरुस्त कर सकते हैं। युद्ध के रास्ते के अलावा भी हम अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश के साथ समन्वित प्रयास से चीन को सीधे रास्ते पर लाने की आशा कर सकते हैं। अकेले अमेरिका व यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्थाएं चीन के आकार का तीन गुना है। और यू.एस की सैन्य क्षमता भी बीजिंग से बहुत ज्यादा है। साथ ही साथ अगर हम भारतीय प्रधानमंत्री श्री मोदी और नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, दोनों के व्यक्तित्व अथवा कार्य प्रणाली का अवलोकन करें तो हम पाते हैं कि दोनों सुलझे हुए होने के साथ-साथ दोनों परंपराओं का सम्मान करने वाले भी व्यक्ति हैं।


निष्कर्षतः अपने अवलोकन और विश्लेषण के आधार पर, मेरे विचार से, निश्चित रूप से, मोदी-बाइडेन के रिश्ते ट्रम्प युग से अलग होंगे, अवश्य ही ज्यादा सार्थक होंगे। 





4 Comments

  1. Thank You Sanjay Sinha ji. Very nicely articulated. You made us understand easily.Hope Indo- US relation will be more stable.🙏

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपकी प्रशंसा मेरे लिये प्रोतसाहन है। आभार।

      Delete

Post a Comment

Previous Post Next Post